शुक्रवार के दिन देवी की पूजा करने से मिटते हैं सभी कष्ट, देखें क्या है खास
- By Habib --
- Thursday, 24 Apr, 2025

Worshiping the Goddess on Fridays removes all your troubles
हिंदू धर्म में सप्ताह के सभी दिन देवी-देवताओं को समर्पित रहते हैं। इस के अनुसार शुक्रवार का दिन देवियों को समर्पित है। शुक्रवार के दिन सुख प्रदान करने वाली संतोषी मां, संकटों का नाश करने वाली देवी दुर्गा और मां काली और धन-धान्य से भरने वाली मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
मां संतोषी
संतोषी मां अपने साधक की चिंताओं और कष्टों को दूर कर हमेशा सुख प्रदान करतीं है। संतोषी मां को सुख की देवी कहा जाता है। संतोषी मां की उपासना करने के लिए आप 16 शुक्रवार के व्रत कर सकते है। किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से शुरू कर सकते हैं। इस व्रत में खट्टी चीजों का सेवन नहीं किया जाता है। संतोषी मां की पूजा में चना और गुड़ विशेष रूप से चड़ाया जाता है। 108 बार संतोषी मां के मंत्र का जाप करें।
मां काली
शुक्रवार के दिन संकटों को हरने वाली मां काली की पूजा की जाती है। शुक्रवार के दिन मां काली की पूजा को अचूक माना जाता है। मां काली आपकी हमेशा ही भय, दोष, शत्रु, जादू टोनो और रोग से रक्षा करतीं हैं। मां काली को लाल वस्त्र प्रिय है, उन्हें लाल वस्त्र भेट करें। आप मां काली को लौंग और पेड़े का भोग लगा सकते हैं। मां काली के मंत्र की 13 माला जाप करें और काली चालीसा का पाठ करें।
मां लक्ष्मी
मां लक्ष्मी को धन प्रदान करने वाली देवी हैं। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन उनकी पूजा की जाती है। आप वैभव लक्ष्मी व्रत भी कर सकते है। इस व्रत में एक ही समय भोजन किया जाता है। किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से आप 11 या 21 शुक्रवार व्रत संकल्प ले सकते हैं। मां लक्ष्मी की पूजा में आप उन्हें सफेद फूल, सफेद चंदन और खीर का भोग लगाएं। सफेद चीजों का दान करें और श्रीसुक्त का पाठ करें।
शुक्रवार व्रत के नियम
शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से इस व्रत की शुरुआत करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि माघ माह में इस व्रत को आरंभ किया जाए तो इसका प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है। हालांकि, मलमास या खरमास के दौरान इस व्रत को प्रारंभ करने की सलाह नहीं दी जाती।
शुक्रवार व्रत के नियम
इस व्रत में खटाई यानि खट्टे पदार्थों जैसे नींबू, इमली, दही आदि के सेवन की मनाही होती है। ऐसा करने से व्रत का संकल्प भंग हो सकता है। व्रती को इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। बिना नमक वाला भोजन ग्रहण करना इस व्रत का एक महत्वपूर्ण नियम होता है। माता संतोषी और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है।
शुक्रवार व्रत पूजा विधि
व्रत के दिन प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद माता संतोषी या देवी लक्ष्मी के समक्ष व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के साथ श्रीयंत्र की स्थापना करना भी शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान भक्त को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव से माता की आराधना करनी चाहिए। माता संतोषी को गुड़ और चने का भोग लगाना अनिवार्य माना जाता है। यह प्रसाद माता को अति प्रिय होता है और इससे व्रत का संकल्प पूर्ण माना जाता है।
शुक्रवार व्रत के लाभ
इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और आर्थिक परेशानियां भी दूर होती हैं। माता लक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य की वृद्धि होती है।
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